What is Psoriasis सोरायसिस ? Meaning in Hindi & Ayurvedic Home Remedies

 

सोरायसिस के घरेलू नुस्खे

तो अब तक तो आप जान ही गए हैं की सोरायसिस शरीर के तापमान के बढ़ने , खून में आम विष के पैदा होने और वात के बढ़ने से होने वाले सूखेपन की वजह से शरीर में पैदा होता है, और फैलता है। विरुद्ध आहार से पैदा होने वाले अपचनीय चिपचिपे द्रव्य को आम विष कहते हैं ।

खून के आम विष को साफ करना

खून के आम विष को साफ करने का बहुत ही सरल उपाय है ब्लड डोनेशन करना । खून को डोनेट करने पर किसी और का तो भला होगा ही आपका भी बहुत फायदा होगा । हर बार जब हम खून डोनेट करते हैं तो हमारा शरीर नया स्वच्छ खून बनाता है । अगर ब्लड डोनेशन के एक-दो हफ्ते पहले से आप स्वस्थ और शाकाहारी भोजन खाना शुरू कर दें ,नमकीन लस्सी पीए, शुद्ध घी का सेवन करें , खूब अच्छे फलों का और तरकारियों का सेवन करें, हमेशा ताजा खाना खाएं तो अपने आप आपके शरीर में स्वच्छ खून बने लगेगा । कुछ ही महीनों में आप सेहतमंद महसूस करने लगेंगे । यह उपाय उनके लिए सही है जिनका सोरायसिस अभी काबू में है

सात्विक भोजन

सोरायसिस के लिए यह भोजन सामग्रियां अत्यंत लाभप्रद हैं ।रक्थशल्लि चावल अथवा लाल रंग के चावल, मूंग की दाल, गरम उबला हुवा पानी, तीखे और कषाय रस के भोजन जैसे कि लौकी, घीया, बैंगन, अनार, कैप्सिकम, पत्ता गोभी, प्याज, शलजम, कच्छि हल्दी, अदरक, सेम की फली, कटहल, भिंडी, ककड़ी, परवल, शकरकंद इत्यादि, पर्याप्त मात्रा में विश्राम और मन को भाने वाले और शांत करने वाले सात्विक पकवान ।पत्तेदार सब्जियों का इस्तेमाल दूध के साथ बिल्कुल भी ना करें |

आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां

यह आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां सोरायसिस में बहुत ही लाभप्रद होती हैं इनका तेल अथवा पेस्ट बनाकर अगर आप अपनी पपडियों पर 10-15 मिनट के लिए छोड़ देंगे तो जरूर राहत पाएंगे । 2 से 3 हफ्ते के निरंतर प्रयोग के बाद आप पाएंगे कि आपकी पपडियाँ काफी कम हो गई हैं ।ध्यान रहे, सिर्फ जड़ी बूटियों से यह बीमारी नहीं ठीक होती, इसके लिए आहार और विहार में भी बहुत परिवर्तन लाना पड़ेगा ।कम से कम 3 महीनों के लिए अपना अनुशासन बना ले और पूरे मन से अपने आप को स्वस्थ करने में लग जाएं, आपको जरूर सफलता प्राप्त होगी ।

करंजे का तेल

  • नीम

  • चंदन

  • हल्दी

  • यष्टिमधु

  • गिलोय

  • अदरक

  • रक्त चंदन और चंदन

शुद्ध घी का पान और स्वेदन बहुत जरूरी हेै

हल्का व्यायाम करने से जो पसीना पैदा होता है उसमें भी आम विष को साफ करने की क्षमता होती है । तेल मालिश के बाद गुनगुने पानी से नहाने पर शरीर के आम विष का शोधन होता है ।

सोरायसिस की वजह से शरीर में बहुत ज्यादा ख़ुश्की हो जाती है ।शरीर का जो सूखापन है उसे अगर ठीक करना है तो फिर घी का सेवन अत्यंत आवश्यक हो जाता है ।एक दिन में कम से कम 2-3 टेबलस्पून घी तक खाएं ।

तेल और घी में तली हुई चीजें ना खाएं , घी को गरम या गुनगुने पानी के साथ या हर्बल चाय के साथ सेवन करें। सुबह उठने पर एक चम्मच घी खाएं और रात को सोने से पहले भी एक चम्मच घी गरम हर्बल चाय के साथ खाएं ।

जाते जाते

सोरायसिस की अवस्था को एक निपुण वेैद ही पूरी तरह से रोगमुक्त कर सकता है तो भले ही आप घरेलू नुस्खों से कुछ राहत पाएंगे जरूर अच्छे वेैद को दिखाकर दवाइयां लीजिए ।

अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो यह बीमारी बार-बार होने की वजह से आपका शरीर कमजोर पड़ता जाएगा |

जिन आदतों की वजह से हम बीमार पड़े हैं उन आदतों को अपने से छोड़ना इतना आसान नहीं होता ।

इस ब्लॉग को पढ़ने के लिए मैं आपका धन्यवाद देती हूं ।अपने विचार जरूर शेयर करें और यदि कोई कमेंट हो तो जरूर यहां पर छोड़ें । इंस्टाग्राम पर मुझे फॉलो करें ताकि मैं आपको और भी आयुर्वेद के स्वास्थ्य प्रदान करने वाले टिप्स आप तक पहुंचाती रहुं । नमस्कार, हरि ओम तत्सत।

~ सलिला

 

 

Shirodhara for stress relief शिरोधारा स्ट्रेस रिलीफ प्रदान करने वाली और सोरायसिस में मदद करने वाली एक आयुर्वेदिक थेरेपी है

सोरायसिस हमारी त्वचा की एक बीमारी है जिसकी वजह से त्वचा की सेल्ल्स् 10 गुना से ज्यादा तेज़ि से बढ़ना शुरू हो जाते हैं ।इससे हमारी त्वचा पर लाल धब्बे और सफेद पपड़ीयाँ बन जाती हैं । सोरायसिस हमारे शरीर पर कहीं पर भी आ सकता है, ज्यादातर इसे सिर के स्किन पर देखा जाता है तब् इसे स्कैल्प सोरायसिस कहते हैं।सिर कि त्वचा के अलावा यह घुटनों पर, कुहनियों पर और पीठ पर पाई जाती है । सोरायसिस इनफेक्शियस नहीं है, यह किसी बीमार व्यक्ति को छूने से नहीं फैल सकती।

सोरायसिस के विभिन्न प्रकार

सबसे आम सोरायसिस को हम सोरायसिस वल्गैरिस कहते हैं।

यदि यह हाथों पर ही फैली हुई है तो इससे पाल्मो प्लांटर सोरायसिस कहते हैं ।

सिर की त्वचा पर पाने वाले सोरायसिस को स्कैल्प सोरायसिस कहते हैं ।

जब पूरे शरीर पर यह फैल जाती है तो इसे एरऐथ्रोदेरमा कहते हैं ।

जोड़ों पर नुक्सान करने वाली सोरायसिस को सोराइटिक अर्थराइटिस कहते हैं ।

और जब सोरायसिस में पानी और पस से भरे हुए दाने भी दिखने शुरू हो जाते हैं, तो उसे पुस्तुलर सोरायसिस कहते हैं।

आयुर्वेद की भाषा में सोरायसिस को एका कुष्ठा कहते हैं

सोरायसिस एक ऐसी बीमारी है जिसका आज तक पूरी तरह से विश्लेषण नहीं हुआ है ,अत्यधिक अन्वेषण के बावजूद इसका कोई भी कारण करता नहीं पाया गया है ।यह किसी को भी किसी भी उम्र में हो सकता है ।कई वैज्ञानिकों ने इसे एक आनुवंशिक अथवा वंश गत बीमारी माना है मगर आयुर्वेद के नजरिए से देखा जाए तो विरुद्ध आहार का सोरायसिस के होने पर बहुत प्रभाव है।

यह एक पित् प्रकृति के असंतुलन से पैदा होने वाला रोग है ।आधुनिक विज्ञान और चिकित्सा पद्धति के अनुसार सोरायसिस एक ऑटो इम्यून डिसऑर्डर कहा जाता है, शरीर स्वयं अपने ही को नुकसान पहुंचाने लगती है ,परंतु आयुर्वेद इसे कुष्ठ रोगों में वर्गीकृत करता है।

यह तो बड़ी निराशाजनक खबर है कि यह किसी को भी कभी भी हो सकती है और इसका कोई ज्ञात कारण नहीं है तो फिर हम अपने आप को कैसे सुरक्षित रखें और यदि हमें सोरायसिस है तो फिर हम कैसे अपना इलाज करें? आप बिल्कुल निश्चिंत हो जाएं, आयुर्वेद के पास सोरायसिस का बेजोड़ उपाय है ।

आप जहां पर भी हैं आज से ही अपने जीवन में परिवर्तन ला सकते हैं। इस ब्लॉग में दिए गए उपायों को यदि आप अपने आहार विहार में अपनायेंगे तो जरूर राहत पाएंगे।

 

 

Psoriasis can really affect confidence. सोरायसिस जिनको होता है वह अकेले पड़ जाते हैं, आत्मविश्वास कम हो जाता है|

चलिऐ पहले समझ लें कि सोरायसिस किन कारणों से होती है। जैसे कि हमने पहले भी कहा था कि यह विरुद्ध आहार से होती है |

एका कुष्ठा के आयुर्वेद के ग्रंथों में यह कारण बताए गए हैं :

  • मूली का अत्यधिक सेवन करना

  • लहसुन का अत्यधिक सेवन करना

  • अत्यधिक मात्रा में मछलियों का सेवन दूध के साथ करना

  • शराब पीना

  • हरी पत्तियों का सेवन दूध के साथ करना

  • अत्यधिक गर्म और चटपटी चीजों का खाना

  • हजम होने में मुश्किल आहार जैसे कि रागी और बाजरा को दूध दही और तेल के साथ अत्यधिक मात्रा में खाना

  • भूख ना भी लग रही हो तो भी बहुत ज्यादा खाना खाना

  • यदि पेट खराब हो तब भी खाना खाना

  • अचार और चटपटी चीजों का बहुत ज्यादा खाना

  • फूड पॉइजनिंग बहुत अधिक होना

  • उबकाई को रोकना और सही वक्त पर टॉयलेट नहीं जान

शोधना चिकित्सा

आयुर्वेद में सोरायसिस का सबसे बेहतरीन इलाज है पंचकर्म थेरपि। पंच कर्मा को शोधना चिकित्सा भी कहते हैं ।शोधना का मतलब है “सफाई” कर देना। शोधना चिकित्सा में अत्यंत ध्यानपूर्वक और अनुशासन के साथ वैद के निरिक्शन मेैं शरीर की चिकित्सा की जाति है। येह 21 से 28 दिन तक पूरा प्रोग्राम होता है । इसे घर पर नहीं किया जा सकता |

सोरायसिस की परिपूर्ण चिकित्सा के लिए इन बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है

विरुद्ध आहार और अधिक मात्रा में शराब का पीना, बहुत लेह्सुन खाना, मछलियां बेहिसाब खाना, ख़मीर युक्त खाना खाना जैसे कि इडली दोसा ढोकला दही खाना, दूध और खट्टे फलों का मिश्रण खाना, बासी खाना खाना, अत्यंत मिर्चीदार और मसालेदार खाना खाना, हमेशा चिंतित और व्याकुल रहना, काली दाल का अत्यधिक सेवन और भयभीत रहना यह सारे कारण इस बीमारी के बिगड़ने में मदद करते हैं।

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